The Definitive Guide to Shodashi

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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥

It was in this article also, that The good Shankaracharya himself put in the image of a stone Sri Yantra, Probably the most sacred geometrical symbols of Shakti. It may possibly nonetheless be seen nowadays from the internal chamber of the temple.

The Shreechakra Yantra promotes the advantages of this Mantra. It is not Obligatory to meditate before this Yantra, but when You should purchase and utilize it all through meditation, it will eventually give wonderful Rewards to you. 

The essence of those rituals lies from the purity of intention and the depth of devotion. It's not necessarily merely the exterior actions but The inner surrender and prayer that invoke the divine presence of Tripura Sundari.

Inside the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered like a pivotal deity in guiding devotees toward Moksha, the final word liberation in the cycle of beginning and Demise.

उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

The iconography serves as being a focus for meditation and worship, letting devotees to connect with the divine Strength from the Goddess.

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी here हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

Reply ray February 26, 2021 Good day sharma, is this attainable to know wherever did you observed that specific shodashi mantra, since it is completely various from initial that's for a longer time.

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